Friday, April 1, 2022

4 Mantras to Worship the third Goddess of Navratri, Mother Chandraghanta नवरात्रि की तीसरी देवी मां चंद्रघंटा की उपासना के 4 मंत्र

 

4 Mantras to Worship the third Goddess of Navratri, Mother Chandraghanta

नवरात्रि की तृतीया को होती है देवी चंद्रघंटा की उपासना। मां चंद्रघंटा का रूप बहुत ही सौम्य है। मां को सुगंधप्रिय है। उनका वाहन सिंह है। उनके दस हाथ हैं। हर हाथ में अलग-अलग शस्त्र हैं। वे आसुरी शक्तियों से रक्षा करती हैं।
मां चंद्रघंटा की आराधना करने वालों का अहंकार नष्ट होता है और उनको सौभाग्य, शांति और वैभव की प्राप्ति होती है।

सरल मंत्र : ॐ एं ह्रीं क्लीं
माता चंद्रघंटा का उपासना मंत्र

पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैयुर्ता।
प्रसादं तनुते मं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।



महामंत्र – या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

ये मां का महामंत्र है जिसे पूजा पाठ के दौरान जपना होता है।

मां चंद्रघंटा का बीज मंत्र है- ऐं श्रीं शक्तयै नम:

मां दुर्गा की तीसरी शक्ति चंद्रघंटा की पावन कथा

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेयुर्ता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

मां दुर्गा की तीसरी शक्ति हैं चंद्रघंटा। नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा-आराधना की जाती है। देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इसीलिए कहा जाता है कि हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखकर साधना करना चाहिए। उनका ध्यान हमारे इहलोक और परलोक दोनों के लिए कल्याणकारी और सद्गति देने वाला है। इस देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है। 

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