Navratri Kanya Pujan का महत्त्व
यदि देवज्ञ राजेंद्र भारद्वाज की मानते तो हिन्दू धर्म में नवरात्रि के दौरान दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं को नौ देवियों का स्वरूप मानकर उनका पूजन किया जाता है। मान्यता यह है कि कन्याओं का देवियों की तरह आदर सत्कार और भोज कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख समृधि का आशीर्वाद देती हैं। यह भी माना जाता है कि नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजने के बाद और उन्हें श्रद्धा भाव से भोजन कराने के बाद ही श्रद्धालुओं का नवरात्रि व्रत पूरा होता है। भक्त जान अपनी सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देते हैं और मां दुर्गा को प्रसन्न करते हैं।
कन्या पूजन की विधि (Navratri Kanya Pujan)
देवज्ञ राजेंद्र भारद्वाज बताते हैं कि अष्टमी या नवमी तिथि में कन्या भोज और पूजन के लिए सर्वप्रथम कन्याओं को आमंत्रित अवश्य करें। सभी कन्याओं को पुष्प अर्पित करके मस्तक अक्षत, फूल और कुंकुम लगाएं। नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाते हुए कन्याओं को पूजन और भोजन के लिए आसान पर बैठा दें। सभी कन्याओं के पैर साफ पानी से किसी थाल में धुलें और कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें। फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को उनकी इच्छा के अनुसार भोजन कराएं। भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा, उपहार देकर उनके पुन: पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें विदा करें।
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