Friday, October 22, 2021

Karva Chauth Ki Katha बिना कथा के अधूरा माना जाता है व्रत

 Karva Chauth Ki Katha बिना कथा के अधूरा माना जाता है व्रत




Karva Chauth Ki Katha करवा चौथ का व्रत सुहागनें पति की दीर्ध आयु के लिए रखती हैं। यह पति-पत्नी के अखंड प्रेम और त्याग की चेतना का प्रतीक है। इस दिन महिलाएं दिन भर के व्रत के बाद ईश्वर से पति की मंगलकामना चाहती हैं।

पौराणिक कथाओं में भी स्त्रियां सशक्त भूमिका में नजर आती हैं और वे अपने पति और परिवार के लिए संकटमोचक बनकर उभरती हैं। जिस देश में सावित्री जैसे उदाहरण हैं, जिसने अपने पति सत्यवान के प्राण बचाए। अपने सशक्त मनोबल से यमराज को भी प्राण लौटाने के लिए विवश कर दिया था।

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